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Agartala, Tripura, India
डॉ. जितेन्द्र: तिवारी संस्कृतभाषी, संस्कृतानुरागी Mob. 9039712018/7005746524
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अथ श्रीगणेश-ध्यानम्

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरम्

प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम् l

दन्ताघातविदारितारिरुधिरै: सिन्दूरशोभाकरम्

न्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ll


भावार्थ- जो वामन और मोटे शरीरवाले हैं, जिनका हाथी के समान मुख और लम्बा उदर है, जो सुन्दर हैं तथा बहते हुए मद की सुगन्ध के लोभी भौंरों के चाटने से जिनका गण्डस्थल चपल हो रहा है, दांतों की चोट से विदीर्ण हुए शत्रुओं के खून से जो सिन्दूर जैसी शोभा धारण करते हैं, कामनाओं के दाता और सिद्धि देनेवाले उन पार्वती के पुत्र गणेशजी की मैं वन्दना करता हूँ l




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